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डुप्लीकेट बिल से भी किया जा सकता है मेडिक्लेम का दावा, कंज्यूमर कोर्ट ने सुनाया फैसला

आज टेक्नोलॉजी का समय है. इश्योरेंश कंपनियों को हॉस्पिटल से क्लेम के बारे में पूरी जानकारी और बिल हासिल करने चाहिए. इसके लिए बीमा कंपनी का हॉस्पिटल के साथ लिंक होना बहुत जरूरी है.

medical claim on duplicate bill
उपभोक्ता अदालत ने मेडिक्लेम पॉलिसी के लिए डुप्लीकेट बिल को मान्य माना है और इंश्योरेंस कंपनी को ब्याज समेत मेडिक्लेम की राशि चुकाने के आदेश दिए हैं. इसके बाद चर्चा शुरू हुई है क्या इंश्योरेंस क्लेम के लिए ऑरिजनल डॉक्यूमेंट जरूरी हैं या नहीं. लिबर्टी जनरल इंश्योरेंस के सीईओ रूपम अस्थाना के मुताबिक, असल बिल नहीं होने से उपभोक्ता को नुकसान नहीं होना चाहिए और टेकनोलॉजी के मदद से इंश्योरेंस कंपनी को हॉस्पिटल से ही बिल की जांच करनी चाहिए.
किसी भी चीज के बिलों को संभालकर रखना कभी-कभी बड़ा मुश्किल हो जाता है. ऐसे में लोग अक्सर डुप्लीकेट बिलों का सहारा लेते हैं. लेकिन बीमा दावों में बीमा कंपनियां असल बिलों को भी स्वीकार करती हैं. लेकिन ऐसा नहीं है. अगर बीमाधारक डुप्लीकेट बिलों के आधार पर क्लेम का दावा करता है तो बीमा कंपनी को डुप्लीकेट बिल स्वीकार करने होंगे और बीमाधारक के दावे का निस्तारण करना होगा.

कंज्यूमर कोर्ट के इस फैसले पर लिबर्टी जनरल इंश्योरेंस के सीईओ रूपम अस्थाना ने कहा कि डुप्लीकेट बिल के आधार पर कोई भी कंपनी दावे को निरस्त नहीं कर सकती है. कंज्यूमर कोर्ट ने उपभोक्ता के हित में फैसला सुनाया है. उन्होंने बताया कि कई बार ऑरिजनल बिल खो जाते हैं या फिर कट-फट जाते हैं. 

रूपम आस्थाना बताते हैं कि आज टेक्नोलॉजी का समय है. इश्योरेंश कंपनियों को हॉस्पिटल से क्लेम के बारे में पूरी जानकारी और बिल हासिल करने चाहिए. इसके लिए बीमा कंपनी का हॉस्पिटल के साथ लिंक होना बहुत जरूरी है. वैसे आज के समय में ज्यादातर बीमा कंपनियां अधिकांश हॉस्पिटलों से जुड़ी हुई हैं. 
रूपम आस्थना ने बताया कि टेक्नोलॉजी के दौर में बिलों की जरूरत ही नहीं है. सारा काम ऑनलाइन होता है. सिस्टम ऑनलाइन होने से फर्जीवाड़े पर भी रोक लगी है. ई-बिल सिस्टम से फर्जीवाड़े पर तो लगाम लगेगी ही साथ ही, बीमा प्रीमियम की राशि भी कम होगी. 
Source :- Zbiz

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