पोस्टमैन और प्यार | Postal Blog Story Series Part 1

0
राधा को बचपन से ही डाकघर में जाने का शौक था,क्योंकि पिता गाँव के डाकघर के पोस्टमॉस्टर थे। रोज जाती और डाकघर में बैठ जाती। मोहर से लगने वाले ठप्पों की आवाज को सुनती रहती ,पिताजी को एक पुराने से रजिस्टर में कुछ न कुछ लिखते देखती ही रहती।

 कई बार सीधा पाठशाला से सीधा डाकघर चली जाती और शाम को पिता के साथ ही घर आती।राधा को चिठियों से बहुत प्यार था , वह पोस्टकार्ड ले लेती और उन पर कुछ कुछ पता डालकर लिखती रहती और लेटर बॉक्स में डाल देती।

search result for post ofice

                                                   समय गुजरता गया ,राधा बड़ी हो गयी और पिताजी भी डाकघर से सेवानिवृत हो गए। अब राधा भी कॉलेज जाने लगी थी और पिताजी घर पर दुकान संभालते थे। पिताजी के इसी प्यार ने राधा को आजतक माँ की कमी महसूस नहीं होने दी। राधा के जाने के बाद घर का काम वही करते थे ,वहीँ राधा भी पिताजी के काम में हाथ बटाती थी। लेकिन इस बीच भी उसका लगाव डाकघर से कम नहीं हुआ अब वह कभी कभी कॉलेज से समय निकाल कर पिताजी की पेंशन लेने चली जाती। 
“राधा बिटिया कैसे आना हुआ ?” डाकघर के बाबू ने पूछा।  “चाचा ,पिताजी की पेंशन लेने आयी हूँ “राधा ने जवाब दिया। डाकघर में सब लोग राधा को जानते ही थे। 
पिताजी को अब राधा के विवाह की चिंता होने लगी थी ,और वो राधा के लिए किसी अच्छे लड़के की तलाश में थे। 
“पिताजी मैं तो केवल डाकघर में काम करने वाले लड़के से ही शादी करवाउंगी ” राधा बोली। 
“बेटी डाकघर में काम करने वाले सारी जिंदगी व्यस्त रह जाते हैं और परिवार को समय नहीं दे पाते ,तुमने मुझे देखा ही है ,भगवान् कोई अच्छा सा रिश्ता लेकर आएगा तुम्हारे लिए ” पिताजी ने जवाब दिया। 
कुछ दिनों बाद राधा का रिश्ता एक फौजी से हो गया जिसकी ड्यूटी भारत पाकिस्तान के बॉर्डर पर थी। थोड़े ही दिन में शादी होने वाली थी लेकिन किसी को क्या पता था कि राधा की जिंदगी में एक बहुत बड़ा तूफ़ान आने वाला है। 
आगे के लिए जारी रहेगी……………………..
 दोस्तों आगे की कहानी आपको कुछ सी समय बाद बताएंगे तब तक आप हमे कॉमेंट करके बताये की आपको अब तक की कहानी कैसी लगी। 


How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Average rating 0 / 5. Vote count: 0

No votes so far! Be the first to rate this post.

Leave A Reply

Your email address will not be published.

error: Content is protected !!